श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर सर्वेशानंद सरस्वती जी महाराज
प्रारंभिक जीवन
श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर सर्वेशानंद सरस्वती जी महाराज का जन्म 14 जुलाई 1982 को हरियाणा के सोनीपत जिले के घन्नौर के पास गांव में हुआ। बचपन में उनका नाम सर्वेश त्यागी था। उनके पिताजी का नाम रोहतास जी त्यागी और माँ का नाम ओमपति देवी है। बचपन से ही उनका झुकाव सनातन धर्म की ओर था, और उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन में ही धर्म के प्रति गहरी रुचि और समर्पण दिखाया।
दीक्षा और धर्म प्रचार की शुरुआत
सर्वेशानंद जी महाराज ने 2002 में दीक्षा ली और इसके बाद से ही वे सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में लग गए। दीक्षा के बाद, वे विभिन्न धार्मिक स्थानों पर गए और धर्म के प्रचार में संलग्न हो गए। 2002 से 2012 तक, उन्होंने बिना किसी भेदभाव के हरिद्वार, खटीमा, टनकपुर, चम्पावत, हिमाचल शिमला, हरियाणा सोनीपत, कुरुक्षेत्र, गुजरात के गिरनार और कच्छ, महाराष्ट्र, उड़ीशा के जगन्नाथ, काशी विश्वनाथ, भटिंडा, मध्यप्रदेश के उज्जैन, राजस्थान के उदयपुर वाटि, सीतापुर उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में सनातन धर्म का प्रचार किया।
धर्म प्रचार की यात्रा
अपने प्रारंभिक प्रचार कार्य के दौरान, गुरूजी ने पूरे भारत में यात्रा की और विभिन्न धार्मिक आयोजनों, यज्ञों और सत्संगों में भाग लिया। उन्होंने लोगों को धर्म की महत्ता समझाई और सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों का प्रचार किया। हरिद्वार, खटीमा, टनकपुर, चम्पावत, शिमला, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, गिरनार, कच्छ, महाराष्ट्र, जगन्नाथपुरी, काशी विश्वनाथ, भटिंडा, उज्जैन, उदयपुर, सीतापुर आदि स्थानों पर उन्होंने अपने प्रवचनों और धार्मिक गतिविधियों के माध्यम से लोगों के दिलों में धर्म के प्रति आस्था जागृत की।
सन्यास और महामंडलेश्वर उपाधि
सन् 2012 में हरिद्वार कुम्भ में उन्होंने सन्यास लिया। सन्यास लेने के बाद, गुरूजी ने पूरे भारत में बिना भेदभाव के सनातन धर्म का प्रचार किया। उनके समर्पण, तपस्या और धर्म प्रचार के कार्यों के कारण, सन् 2016 में उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया गया। यह उपाधि प्राप्त करने के बाद, उन्होंने और भी अधिक समर्पण के साथ धर्म के प्रचार में अपने को समर्पित कर दिया।
वर्तमान कार्य
2016 से अब तक, गुरुदेव श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर सर्वेशानंद सरस्वती जी महाराज पूरे भारत में सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं। उनका जीवन धर्म, समर्पण और सेवा का प्रतीक है। वे अपने अनुयायियों के बीच अत्यधिक सम्मानित और पूजनीय हैं। उन्होंने अपने प्रवचनों और धार्मिक गतिविधियों के माध्यम से लोगों के दिलों में धर्म के प्रति आस्था और श्रद्धा का संचार किया है। गुरूजी का उद्देश्य है कि हर व्यक्ति सनातन धर्म के सिद्धांतों को समझे और उनका पालन करे, जिससे समाज में शांति, प्रेम और सद्भावना का विकास हो सके।
गुरुदेव श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर सर्वेशानंद सरस्वती जी महाराज का जीवन और कार्य उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी साधना, तपस्या, और धर्म प्रचार के प्रति समर्पण ने उन्हें एक महान धार्मिक नेता के रूप में स्थापित किया है। वे न केवल धर्म के प्रचारक हैं, बल्कि एक महान समाज सुधारक भी हैं, जिन्होंने अपने कार्यों से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। उनके नेतृत्व में, सनातन धर्म का प्रचार और प्रसार तेजी से हो रहा है और लाखों लोग उनके मार्गदर्शन में धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं
संपर्क करें
गुरूजी दसो महाविद्याओ के दीक्षित है और महाकाल सिध्द है। गुरुदेव श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर सर्वेशानंद सरस्वती जी महाराज के द्वारा बगुलामुखी हवन, वैदिक पूजन, महामृत्युंजय यज्ञ, महारुद्राभिषेक आदि करवाने के लिए संपर्क करें।
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अपने गुरुकुल के विद्वान वैदिक ब्राह्मणो के द्वारा किया जाता है।
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